भारत-यूके विज़न 2035: भविष्य की साझेदारी के लिए नया खाका

आज प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री श्री कीयर स्टार्मर द्वारा संयुक्त रूप से ‘भारत-यूके विज़न 2035’ की घोषणा की गई। यह ऐतिहासिक दस्तावेज़ आने वाले वर्षों के लिए भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच संबंधों को एक नई दिशा देने वाला है। यह विज़न न केवल दोनों देशों की साझेदारी को और मज़बूत करेगा, बल्कि इसे भविष्य के लिए तैयार भी करेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह विज़न दस्तावेज़ हमारी ‘कम्प्रिहेन्सिव स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप’ में नई ऊर्जा और महत्वाकांक्षा का संचार करता है। यह दस्तावेज़ दोनों देशों के बीच सहयोग के हर क्षेत्र को छूता है—व्यापार, तकनीक, रक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य, जलवायु परिवर्तन, नवाचार और संस्कृति से लेकर जन-जन के आपसी संपर्क तक। मुख्य बिंदु: आर्थिक सहयोग: भारत और यूके के बीच व्यापार और निवेश को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई है। दोनों देशों ने मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को शीघ्र पूरा करने पर जोर दिया है, जिससे दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को लाभ होगा। तकनीकी और डिजिटल साझेदारी: कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), साइबर सुरक्षा, क्वांटम कंप्यूटिंग, और 5G/6G टेक्नोलॉजी में सहयोग को बढ़ावा देने की योजना बनाई गई है। रक्षा और रणनीतिक संबंध: रक्षा उत्पादन, संयुक्त सैन्य अभ्यास, समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ सहयोग को गहराने पर सहमति बनी है। शिक्षा और कौशल विकास: छात्रों और युवाओं के लिए अवसर बढ़ाने, विश्वविद्यालयों के बीच सहयोग, और स्किल डेवलपमेंट कार्यक्रमों में साझेदारी को प्राथमिकता दी गई है। जलवायु परिवर्तन और सतत विकास: दोनों देशों ने ग्रीन एनर्जी, जलवायु अनुकूल तकनीक और कार्बन उत्सर्जन को घटाने के लिए संयुक्त कदम उठाने पर सहमति जताई है। दोनों प्रधानमंत्रियों की साझा सोच: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस विज़न को “21वीं सदी के लिए भारत-ब्रिटेन संबंधों का रोडमैप” बताया, जबकि प्रधानमंत्री कीयर स्टार्मर ने कहा कि यह दस्तावेज़ “हमारी दोस्ती की नई शुरुआत और साझेदारी को और गहराई देने का माध्यम है।” यह विज़न दोनों देशों के लोगों के लिए प्रत्यक्ष लाभ लाने का उद्देश्य रखता है — चाहे वह नौकरियों के नए अवसर हों, शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग, या जलवायु संकट से मिलकर निपटने की रणनीति। निष्कर्ष: भारत-यूके विज़न 2035 केवल एक राजनीतिक घोषणा नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक दृष्टिकोण है जो अगले दशक के लिए दोनों देशों के बीच साझेदारी को मजबूत नींव प्रदान करता है। यह कदम वैश्विक मंच पर भी दोनों देशों की भूमिका को और प्रभावशाली बनाएगा, और दो महान लोकतंत्रों को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।

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