औरंगाबाद में राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा में हंगामा2025: महागठबंधन विधायकों के खिलाफ नारेबाजी, जानिए पूरी रिपोर्ट

औरंगाबाद में राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा के दौरान महागठबंधन विधायकों के खिलाफ जमकर नारेबाजी हुई। जानिए क्या है विवाद की पूरी कहानी।

औरंगाबाद
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औरंगाबाद में राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा में बवाल क्यों हुआ?

राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा देशभर में सुर्खियों में है। यह यात्रा लोकतंत्र को मजबूत करने और मतदाताओं के अधिकारों की आवाज उठाने के लिए निकाली गई है। लेकिन बिहार के औरंगाबाद जिले में यह यात्रा विवादों में घिर गई। महागठबंधन के दो प्रमुख विधायकों के खिलाफ स्थानीय लोगों ने जमकर नारेबाजी की।

घटना के वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं। लोग पूछ रहे हैं, आखिर ऐसी स्थिति क्यों बनी कि अपने ही गठबंधन के विधायकों के खिलाफ जनता सड़कों पर आ गई? आइए पूरी जानकारी विस्तार से समझते हैं।

क्या है पूरा मामला?

18 अगस्त 2025 को राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की संयुक्त वोटर अधिकार यात्रा औरंगाबाद पहुंची। यात्रा की शुरुआत देव मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद हुई। मंदिर से बाहर निकलते ही भीड़ ने राहुल और तेजस्वी का स्वागत किया, लेकिन कुछ ही देर में माहौल बदल गया।

आनंद शंकर के खिलाफ नारेबाजी

राहुल गांधी का काफिला जब देव के एक स्थान से गुजर रहा था, तभी भीड़ में मौजूद कुछ लोगों ने स्थानीय विधायक आनंद शंकर के खिलाफ जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी। नारे थे – “आनंद शंकर मुर्दाबाद”, “हमारा नेता कौन हो – जो काम करे”.

रफीगंज में विरोध और रास्ता रोकना

यात्रा रफीगंज पहुंची, जहां स्थिति और बिगड़ गई। वहां के स्थानीय विधायक मोहम्मद नेहालुद्दीन के खिलाफ लोगों ने सड़क जाम कर दिया और उनके काफिले को रोक लिया। लोगों ने आरोप लगाया कि चुनाव जीतने के बाद विधायक पूरी तरह गायब हो गए, जनता से संवाद बंद कर दिया और विकास के वादे पूरे नहीं किए।

सुरक्षाकर्मियों ने किया बीच-बचाव

रफीगंज में जब माहौल तनावपूर्ण हो गया, तब विधायक के सिक्योरिटी गार्ड्स ने बीच-बचाव किया। गुस्साई भीड़ ने विधायक से सवाल किए – “आपका फोन क्यों नहीं उठाते?” इस पर विधायक को सुरक्षाकर्मी तुरंत गाड़ी में बैठाकर वहां से निकाल ले गए।

लोगों के आरोप क्या हैं?

जनता का गुस्सा सिर्फ नारों तक सीमित नहीं रहा। लोगों ने कई गंभीर आरोप लगाए, जिनमें शामिल हैं:

  • चुनाव जीतने के बाद गायब होना – जनता का कहना है कि विधायक चुनाव जीतने के बाद क्षेत्र में नजर ही नहीं आए।
  • फोन रिसीव नहीं करना – आरोप है कि वे फोन नहीं उठाते और अगर कभी उठाते हैं तो उल्टा जवाब देते हैं।
  • वायरल ऑडियो – एक पुराना ऑडियो भी सामने आया जिसमें विधायक ने कथित तौर पर कहा था कि “मैं आपका विधायक नहीं हूं”.
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो

देव और रफीगंज दोनों घटनाओं के वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। लोग इस मुद्दे पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। कुछ लोग इसे जनता की नाराजगी का संकेत बता रहे हैं, तो कुछ इसे महागठबंधन की अंदरूनी कमजोरी मान रहे

राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की प्रतिक्रिया

अब सवाल उठता है कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने इस पूरे मामले पर क्या कहा? फिलहाल, दोनों नेताओं ने यात्रा के मुद्दे पर ही बात की और कहा कि यह यात्रा लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए है। लेकिन स्थानीय स्तर पर बढ़ता असंतोष निश्चित रूप से महागठबंधन के लिए चिंता का विषय बन सकता है।

राजनीतिक विश्लेषण: बड़ा संकेत या सिर्फ स्थानीय गुस्सा?

राजनीतिक जानकार मानते हैं कि यह सिर्फ स्थानीय गुस्सा नहीं, बल्कि वोटर अधिकार यात्रा के दौरान जनता को अपने मन की बात कहने का मौका मिला। जब बड़े नेता मौजूद होते हैं, तो जनता अपनी नाराजगी खुलकर जताती है।
लेकिन क्या यह घटना आने वाले चुनावों पर असर डालेगी? संभव है, क्योंकि आज के डिजिटल युग में एक वीडियो भी चुनावी माहौल को बदल सकता है।


महागठबंधन के लिए खतरे की घंटी

बिहार में महागठबंधन पहले से ही कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। ऐसे में अपने ही विधायकों के खिलाफ जनता का गुस्सा सामने आना एक बड़ा संकेत है। अगर यह नाराजगी बढ़ी तो आने वाले विधानसभा चुनावों में इसका असर देखने को मिल सकता है।https://indiacentralnews.com/auto-draft/


यात्रा का मकसद और बढ़ता दबाव

राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा का मकसद था लोगों को यह संदेश देना कि उनका वोट सिर्फ मतदान तक सीमित नहीं, बल्कि जनप्रतिनिधियों से जवाबदेही भी मांगता है।
लेकिन औरंगाबाद की घटना ने यह साफ कर दिया कि जनता सिर्फ भाषणों से संतुष्ट नहीं है। उन्हें काम चाहिए, जवाबदेही चाहिए।

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