गृह मंत्री अमित शाह लोकसभा में तीन बड़े विधेयक पेश करने जा रहे हैं, जिनमें प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को गंभीर अपराधों में गिरफ्तारी या दोषसिद्धि पर पद से हटाने का प्रावधान होगा। मौजूदा कानून में केवल दोषसिद्धि पर हटाने का प्रावधान है, लेकिन प्रस्तावित कानून के तहत यदि कोई प्रतिनिधि 30 दिनों तक हिरासत में रहता है, तो 31वें दिन उसे पद छोड़ना होगा या स्वतः हटाया जाएगा। इसमें संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक और केंद्र शासित प्रदेश शासन (संशोधन) विधेयक शामिल हैं। विपक्ष ने इसे विपक्षी दलों को अस्थिर करने की साजिश बताया है।

प्रस्तावित कानून का उद्देश्य
गृह मंत्री अमित शाह लोकसभा में तीन अहम विधेयक पेश करने जा रहे हैं। इन विधेयकों के तहत एक नया तंत्र लागू करने का प्रस्ताव है, जिसके अनुसार प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, केंद्रीय या राज्य मंत्री अगर गंभीर अपराधों में दोषी ठहराए जाते हैं या गिरफ्तार होते हैं, तो उन्हें अपने पद से हटना पड़ेगा। ये अपराध ऐसे होंगे जिनमें कम से कम 5 साल या उससे अधिक की सजा का प्रावधान हो।
31 दिन का नियम
गृह मंत्री अमित शाह इस प्रस्ताव के मुताबिक, अगर कोई निर्वाचित प्रतिनिधि 30 दिनों तक हिरासत में रहता है, तो 31वें दिन से उसे या तो इस्तीफा देना होगा या उसे स्वचालित रूप से पद से हटा दिया जाएगा। यह प्रावधान पहली बार भारतीय राजनीतिक प्रणाली में जोड़ा जा रहा है, क्योंकि वर्तमान कानून में ऐसा कोई नियम नहीं है।
वर्तमान प्रणाली क्या कहती है?
फिलहाल की प्रणाली के तहत किसी भी निर्वाचित प्रतिनिधि को केवल तभी पद से हटाया जाता है जब वह दोषी करार दिया जाता है। गिरफ्तारी की स्थिति में ऐसे कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं हैं।
उदाहरण के लिए, दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आबकारी मामले में 6 महीने जेल में रहे, लेकिन उन्होंने जेल से ही सरकार चलाई। बाद में आतिशी को मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी दी गई।
इसी तरह, झारखंड में चंपई सोरेन ने तब पदभार संभाला जब पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जमीन घोटाले के आरोप में जेल में थे।Contact
इस स्थिति को बदलने के लिए अमित शाह का यह नया विधेयक एक सख्त प्रावधान लाने जा रहा है।
प्रस्तावित प्रावधानों की खास बातें
यदि कोई मंत्री या मुख्यमंत्री 30 दिनों तक हिरासत में रहता है, तो स्वतः पद से हटाया जाएगा।
रिहाई के बाद राष्ट्रपति (केंद्र के लिए) या राज्यपाल (राज्य के लिए) फिर से नियुक्ति कर सकते हैं।
गंभीर अपराधों की परिभाषा वही रहेगी जिनमें 5 साल या अधिक की सजा का प्रावधान है।
तीन प्रमुख विधेयक
1. संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025:
यह विधेयक अनुच्छेद 75, 164 और 239AA में संशोधन करेगा। इसका उद्देश्य प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्री और दिल्ली एनसीटी सरकार के मंत्रियों को हटाने का स्पष्ट प्रावधान बनाना है। PM-CM हटाने का कानून
2. जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025
यह संशोधन जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 54 में बदलाव करेगा, जिससे मुख्यमंत्री या मंत्री को गिरफ्तारी या गंभीर अपराधों के मामले में हटाने का कानूनी आधार मिलेगा।
3. केंद्र शासित प्रदेशों का शासन (संशोधन) विधेयक, 2025
यह 1963 के केंद्र शासित प्रदेश शासन अधिनियम की धारा 45 में संशोधन करेगा, जिससे केंद्र शासित प्रदेश के मुख्यमंत्री और मंत्रियों को हटाने की प्रक्रिया तय होगी।
इन विधेयकों पर संसद में प्रक्रिया
इन विधेयकों को राज्यसभा और लोकसभा की संयुक्त समिति के पास भेजा जाएगा। इस समिति में लोकसभा के 21 सदस्य और राज्यसभा के 10 सदस्य होंगे। जैसे ही ये विधेयक सांसदों को भेजे गए, राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई।
विपक्ष की तीखी आलोचना
कांग्रेस का आरोप – जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश
कांग्रेस के लोकसभा में उपनेता गौरव गोगोई ने X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा:
“गृह मंत्री अमित शाह के ये विधेयक जनता का ध्यान राहुल गांधी की वोट अधिकार यात्रा से हटाने का हताश प्रयास हैं… साफ है कि बिहार में बदलाव की हवाएं चल रही हैं।”
अभिषेक मनु सिंघवी ने उठाया बड़ा सवाल
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने इस प्रस्ताव को “एक दुष्चक्र” बताया। उन्होंने कहा:
“गिरफ्तारी के लिए कोई दिशा-निर्देश नहीं! विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी धड़ल्ले से और असमान रूप से हो रही है। नया प्रस्तावित कानून गिरफ्तारी होते ही मौजूदा मुख्यमंत्री आदि को तुरंत हटा देता है। विपक्ष को अस्थिर करने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार किया जाए, और चुनाव में हराने में असफल होने पर मनमानी गिरफ्तारियों से उन्हें हटाया जाए! सत्तारूढ़ दल के किसी भी मुख्यमंत्री को कभी नहीं छुआ गया!”
क्या यह विधेयक राजनीतिक अस्थिरता बढ़ाएगा?
गृह मंत्री अमित शाह विशेषज्ञों का कहना है कि इस कानून से सत्ता पक्ष को विपक्ष को कमजोर करने का हथियार मिल सकता है। गिरफ्तारी के बाद हटाने का प्रावधान उन राज्यों में बड़ा असर डाल सकता है जहां गठबंधन सरकार या कमजोर बहुमत है।
सरकार का तर्क – साफ सुथरी राजनीति का प्रयास
केंद्र सरकार का तर्क है कि यह कानून राजनीति में स्वच्छता लाने के लिए है। गृह मंत्रालय गृह मंत्री अमित शाह के अधिकारियों के अनुसार, “गंभीर अपराधों में आरोपित नेताओं को पद पर बने रहना लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।”
सवाल – दुरुपयोग रोकने के लिए क्या प्रावधान होंगे?
गृह मंत्री अमित शाह कानून विशेषज्ञों का कहना है कि अगर गिरफ्तारी ही हटाने का आधार बनेगी, तो दुरुपयोग का खतरा रहेगा। ऐसे में जरूरी है कि गिरफ्तारी के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश, न्यायिक निगरानी और समीक्षा तंत्र का प्रावधान हो।